पैतृक कार्य मे शर्मिंदगी कैसी ….

पैतृक कार्य मे शर्मिंदगी कैसी ……..


आजकल के अधिकांश छात्र कॉलेज अध्ययन करके निकलते है तो वह अपने पिता के पुश्तैनी काम मे मदद करने मे अप्रतिष्ठा का अनुभव करता है लेकिन कुछ दिनो पहले इससे विपरीत उदाहरण देखने को मिला ।

एक दिन शाम के समय संजना बडे बाजार गई । घर का सामान लेने के साथ बच्चो के बाल भी कटवाने थे । अलग अलग जगह से वस्तुये खरीदने के बाद वह बच्चो को लेकर कटिंग सैलून पहुँची ।वहॉ एक वृद्ध व्यक्ति बाल काटने का कार्य कर रहा था । तभी एक सूट पहने युवा लडका आया और बोला कि लाओ बापूजी इनके बाल की मैं कटिंग कर देता हूँ और बच्चो के बाल काटने शुरू कर दिये । 

उसने संजना से पूछा कि आप साइंस कॉलेज मे पढ़ाने का कार्य करती है । वह तुरंत बोली तुम्हे कैसे मालूम । उसने कहा कि मैने आपको साइंस कॉलेज मे देखा है । तुरंत पूछा तुम वहॉ पर क्या कर रहे थे । बड़ी ही विनम्रता के साथ जवाब दिया कि कि मैं उस कॉलेज मे इंजीनियरिंग की पढाई कर रहा हूँ । अभी दूसरा साल है । 

संजना तो एकदम आश्चर्य चकित हो गई और बोली क्या तुम इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे हो ? और विचारो के जाल मे फँस गई और पूछ बैठी ,इतनी पढाई करके भी तुम्हे बाल कटिंग करते समय शर्मदिंगी महसूस नही हुई । बहुत ही मीठे शब्दो के साथ वह युवा लडका बोला कि दीदी पुश्तैनी काम मे शर्म कैसी ? चाहे हम कितना ही पढलिख ना क्यों ले लेकिन वंशपरम्परागत कार्य को कैसे भुला दे ? मैं तो बचपन से ही पढ़ाई के साथ साथ यहॉ का कार्य कर रहा हूँ । आज यहॉ तक पहुँचा भी किसकी बदौलत से ? जिस कार्य को रात दिन मेहनत करके मेरे पिता ने मुझे आज इस मुकाम तक पहुचॉया ,वह छोटा कैसे हो सकता है । इतना कुछ मेरे लिये किया तो क्या उनके कार्य मे मुझे मदद नही करनी चाहिये ?

इन प्रश्नों का संजना के पास कोई जवाब नही था । बाल कट चुके थे पैसे देकर संजना बच्चो के साथ घर की और चलने लगी । मन मे उस युवा के प्रति मान की भावना उभर आई व साथ मे शुरू हो गया पैतृक कार्यों को लेकर एक अलग विचारो का सिलसिला …

विमला

लिखने मे गलती हो तो क्षमायाचना 🙏🙏

जय सच्चिदानंद 🙏🙏

6 Comments Add yours

  1. Madhusudan says:

    Bahut badhiya likha hai….

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    1. शुक्रिया आपको पसंद आया

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  2. बहुत खूब……👌👌👌

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  3. Sunith says:

    beautifully crafted!

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