खाइये व खिलाइये दाल रोटी चाहे मोटी हो या पतली व कितनी भी हो कमाई
प्यासे को पिलाये पानी चाहे हो जाये कुछ हानि
आये का कीजिये मान जाते का कीजिये सम्मान
जाइये दुख मे पहले , सुख मे पीछे
सोचिये एकांत मे , करिये सबके सामने
धोइये दिल की कालिख को ,कुटुम्ब के दाग को
चलिये तो अगाडी , ध्यान रहे पिछाडी
सुनिये सबकी ,करिये मन की
बोलिये जुबान संभालकर , थोड़ा बहुत पहचानकर
लीजिये ज़िम्मेदारी उतनी , संभाल सके जितनी
रखिये चीज जगह पर, जो मिल जाये समय पर
भूलिये अपनी बढ़ाई को , दूसरो की भलाई को
रखिये याद क़र्ज़ चुकाने की , मर्ज को मिटाने की
छोड़िये अमचूर की खटाई , रोज की मिठाई
पीजिये दूध खड़े होकर , दवा पानी बैठकर
देखिये मॉ का ममत्व , पत्नी का धर्म
आपकी आभारी विमला विल्सन
जय सच्चिदानंद 🙏🙏
बहुत खूब लिखा है
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बहुत बहुत शुक्रिया
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Wonderful.
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Thanks a lot 🙂
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