1. परखो तो कोई “अपना” नही
समझो तो कोई “पराया” नही
चेहरे की हँसी से “ग़म” को भुला दो
कम बोलो पर सब कुछ बता दो
यही राज है “जिन्दगी” का
“जीओ” और “जीना” सीखा दो
2. बस एक तज़ुर्बा लिया है ज़िन्दगी से
अपनो के नज़दीक रहना है तो खामोश रहो
ओर अपनो को नज़दीक रखना है तो
कोई भी बात दिल पर मत लो
3. “इंसानियत” की “दौलत” होती है जिसके पास
“रब” हमेशा रहता है उसके साथ
“इंसानियत” से बढ़कर कोई “धर्म“ नहीं
4. सिर्फ पैसे के “ढेर” इकट्ठे करने में ही
जिन्दगी “बरबाद” मत कीजिये ,
साथ में उसका “सदुपयोग” भी कीजिये
वरना एक दिन “खुशियाँ” क्या
ज़िन्दगी भी “ढह” जायेगी
5. कौन क्या कर रहा हैं,कैसे कर रहा हैं,क्यों कर रहा है
इससे आप जितना दूर रहेंगे,
अपने मन की शांति के उतने ही करीब रहेंगे
6. ये जिंदगी हमे कितना कुछ सिखाती हैं
कभी रूलाती है ,हँसाती है ,
कभी गिराती है, उठाती हैं ,
कभी दूर ,कभी पास अपनों के लाती है
कुछ पाकर हर कोई मुस्कुराता हैं,
पर जिन्दगी वही जीता हैं,
जो सबकुछ खो कर भी मुस्कुराना जानता हैं