1. ज्ञान के बाद यदि अहंकार का जन्म होता है तो वह ज्ञान जहर है किंतु ज्ञान के बाद यदि नम्रता का जन्म होता है तो वही ज्ञान अमृत है 2. “ईर्ष्या” के कारण दूसरे को गिराने का भाव सबसे पहले स्वयं को गिराता हैं 4. ईमानदारी केवल व्यवसाय के क्षैत्र में ही नहीं, आदमी…
Category: आध्यात्मिक
आज का सुविचार # जागृति # प्रेरणादायी # Quotes #
ज्ञान मुझ मे अल्प है , यह ध्यान मे मत लाइये हारिये मन मे नही , सदव्यवहार करते जाइये चंद्र सूर्य दोनो अमावस्या मे , दिख पड़ते नही उस समय मे दीप अपना , काम क्या करता नही ज्ञान तीन प्रकार से मिलता है किताबों से – यह सबसे सरल है अनुभव से – यह…
विचारणीय योग्य बाते # आध्यात्मिक बात # जिन्दगी # Quotes #
विचारणीय योग्य बात धर्म या परमात्मा के लिये आपने जिन्दगी मे कौनसा समय तय कर रखा है ? शरीर मे शक्ति है तब या शरीर बूढ़ा या अशक्त हो जाये तब लेकिन अधिकांश लोगो ने धर्म का समय बुढापे के लिये रखा है व ताकत का समय संसार के लिये रखा है । क्यो नही…
प्रेरणादायी # आध्यात्मिक बात # सुविचार # Quotes
हम बाहरी दुनिया से कभी भी शान्ति नही पा सकते है जब तक हम अंदर से शांत ना हो । मन अक्सर कहता है ईश्वर से कुछ मांग ले पर आत्मा रोक देती है यह कहकर कि, प्रभु ने जितना भी दिया है क्या कम था ? क्या मैं उसके काबिल था ? बहुत फर्क…
आध्यात्मिक बात # आत्मा # Quote #
आत्मा भी अंदर है परमात्मा भी अंदर है और परमात्मा से मिलने का साधन भी अंदर है आपकी आभारी विमला विल्सन मेहता जय सच्चिदानंद 🙏🙏
बहुत ही कड़वी सच वाणी # आध्यात्मिक बात # Quote #
बहुत ही कड़वी सच वाणी बुराई करना दोष बताना अच्छी बात हैं पंचायती करना अच्छी बात हैं निंदा करना भी अच्छी बात हैं लेकिन किसकी ? ? ? अपनी ..खुद की …अपने आप की किसी दूसरे की बिलकुल भी नहीं फिर पता चलेगा कि हम किसी से कम नहीं और इस दुनिया में हम से…
आध्यात्मिक बात # सुविचार # Quote #
धर्म कही पर भी कर सकते है क्योकि यह तो अंतरात्मा मे होता है आपकी आभारी विमला विल्सन मेहता जय सच्चिदानंद 🙏🙏
आध्यात्मिक विचार # अच्छे विचार #
एक बार कागज का एक टुकड़ा हवा के वेग से उड़ा और पर्वत के शिखर पर जा पहुँचा।पर्वत ने उसका आत्मीय स्वागत किया और कहा-भाई ! यहाँ कैसे पधारे ? कागज ने कहा अपने दम पर.. जैसे ही कागज ने अकड़ कर कहा अपने दम पर …और तभी हवा का एक दूसरा झोंका आया और…
कालचक्र भाग (आरा) – छ: # जिंदगी की किताब (पन्ना # 420)
6. छट्ठा आरा दुषमा – दुषमा काल – शास्त्रों के अनुसार छ: आरे होते है । पॉच आरों के बारे मे आपको जानकारी मिल चुकी है । अभी पॉचवां आरा चल रहा है । इक्कीस हज़ार वर्ष अवधि वाले पॉचवे आरे की समाप्ति के साथ ही दुख वाला छट्ठा आरा प्रारम्भ होता है । इसकी…
कालचक्र भाग (आरा) – पॉच # जिंदगी की किताब (पन्ना # 419)
5. पंचम आरा ….जो अभी चल रहा है दुषमा काल शास्त्रों के अनुसार छ: आरे होते है । चार आरों के बारे मे आपको जानकारी मिल चुकी है । चौथे आरे की समाप्ति पर 21,000 वर्ष की अवधि वाला पॉचवां दुख वाला आरा आरम्भ होता है । अभी कलयुग मे पॉचवां आरा चल रहा है…
कालचक्र भाग (आरा) – चार # जिंदगी की किताब (पन्ना # 418)
4. चौथा आरा – दुषमा – सुषमा काल शास्त्रों के अनुसार छ: आरे होते है । तीन आरों के बारे मे आपको जानकारी मिल चुकी है। तीसरे आरे की ठीक समाप्ति के साथ ही चौथे आरे का आरम्भ होता है । इसमे दुख अधिक और सुख कम होता है । इसके प्रारम्भ मे मनुष्यों की अधिकतम…
कालचक्र भाग (आरा) – तीन # जिंदगी की किताब (पन्ना # 417)
आपको पिछले लेख मे पहले आरे की जानकारी से अवगत करवाया । अब दूसरे व तीसरे आरे के बारे मे आपको बताते है 2. दूसरा आरा – सुषमा काल ….. शास्त्रों के अनुसार छ: आरे होते है । पहले आरा के बारे मे आपको जानकारी मिल चुकी है । इस आरे की स्थिती भी प्राय…