प्रेरणा # जिंदगी की किताब (पन्ना # 390)

दूसरों की निंदा मे लगकर समय क्यों गँवाते हो ? अपनो के अवगुणो को हर पल क्यों दोहराते हो ? सेवा और त्याग की भाषा तुम फिर क्यों भूल जाते हो ? असीम सुखों की चाहत मे क्यों स्वार्थी बन जाते हो ? मीठे बोल से ही यहॉ अपनत्व क्यों ना बढ़ाते हो ? अपनो…