भक्त की भक्ति -जिंदगी की किताब (पन्ना # 16)

भक्त की भक्ति …..कहानी के साथ… भक्तिभाव का आधार प्रेम,श्रद्धा और समर्पण हैं ।सच्ची भक्ति से भगवान भी भक्त के वश मे हो जाते है ।यदि भक्ति शरीर के किसी भी अंगों से होती तो विकलांग कभी नही कर पाते । बोलने सुनने में होती तो गूँगे बहरे कभी नही कर पाते। धन और ताक़त…

भक्ति और ज्ञान…..

भक्ति और ज्ञान…… आत्मज्ञान यानि आत्मा का अनुभव। यह ज्ञान हमें कोटि कोटि जन्मों के पुण्यों के उदय के फलस्वरूप मिलता हैं ।आत्मज्ञान कहीं बाहर बैठा हुआ नहीं है जिसे जाकर पाया जा सके। वह हमारे भीतर ही लबालब भरा पड़ा हैं ।जो सदा हर वस्तु का केवल अच्छा पक्ष देखते हैं वे ही आत्मज्ञान…

पॉजीटिव सोच और नेगेटिव सोच…..

पॉजीटिव सोच और नेगेटिव सोच….. प्रत्येक मनुष्य मे सकारात्मक एवं नकारात्मक विचार चलते रहते हैं । इनमे से किसी एक के पोषण से दूसरा कमजोर हो जाता है । सकारात्मक सोच व्यक्तियो की वास्तविक प्रतिभा को उभारकर उन्हे असंभव से संभव करने मे सहायक होती है जबकि नकारात्मक सोच व्यक्ति में हीन भावना का भाव…

गुस्से के कुछ क्षण -जिंदगी की किताब (पन्ना # 13)

गुस्से के कुछ क्षण….. लोगों को गुस्सा क्यों आता है, इसकी कई वजह होती हैं , वजह चाहे जो भी हो, गुस्सा दिलाने पर लोग खुद को काबू में नहीं रख पाते और भड़क उठते हैं।कई बातें एक इंसान को गुस्सा दिला सकती हैं, जैसे जब उसके साथ नाइंसाफी होती है या उसकी सबके सामने…

करो अन्न देवता का आदर …पेट की भूख क्या होती हैं ?-जिंदगी की किताब (पन्ना # 12)

करो अन्न देवता का आदर …..पेट की भूख क्या होती हैं ? भूख क्या होती है वह किसी भी भूखे व्यक्ति के पास जाकर पूछो ।भूखा पेट इंसान को क्या क्या करा सकता है ऐसे कई अनुभव मैने अपनी जिंदगी मे देखे हैं । भूख से कई दृष्टांत याद आते है । पहला दृष्टांत मुझे…

कितना सुंदर है मन का संसार ……

कितना सुंदर है मन का संसार …… ईश्वर को करूँ धन्यवाद या करूँ शुक्रिया आज , जिसने बनाया ये , मन का कितना सुंदर संसार । वास्तविकता के धरातल पर   मैं बहुत खुश हूँ आज जितनी चादर थी  उतना ही पॉव फैलाया आज इसलिये बहुत खुश हुँ मै आज इच्छाओं को कम करके  तृप्ति की…

वृद्धावस्था vs युवा पीढ़ी …..विचार दोनो की नजर मे -जिंदगी की किताब (पन्ना # 11)

वृद्धावस्था vs युवा पीढ़ी …..विचार दोनो की नजर में वर्तमान में वृद्धों के कष्टों को देखकर मन में हमेशा ही प्रश्न बना रहता है कि बुढापा एक अभिशाप है या वरदान?   हमारे समाज में अधिकांश लोग अपने वृद्धों को भले ही बोझ समझता है लेकिन फिर भी वे अपने उम्र के इस पड़ाव में…

क्रोध (गुस्सा)-जिंदगी की किताब (पन्ना # 10)

क्रोध (गुस्सा)…. क्रोध इंसान को इतना अंधा कर देती हैं उसे अच्छे या बुरे का भान नही रहता हैं….आगे कहानी,कविता ओर विवरण के साथ पढिये…. क्रोध एक बुरी आदत हैं जिसे मनुष्य दिल से लगाये घूमता हैं यह मनुष्य के वास्तविक अस्तित्व को समाप्त कर देता हैं । आज के समय में क्रोध एक फैशन…

प्रेम -सुखद अहसास-जिंदगी की किताब (पन्ना # 9)

प्रेम -सुखद अहसास ….. प्रेम एक अहसास है जो किसी की दया, भावना और स्नेह जताने का तरीका है। खुद के प्रति, या किसी जानवर के प्रति, या किसी इनसान के प्रति ,किसी के भी प्रति स्नेहपूर्वक कार्य करने को प्यार या प्रेम कह सकते हैं। प्रेम चेतन की एक अवस्था हैं । मनुष्य-जीवन का…

कुछ तो लोग कहेंगे,लोगो का काम हैं कहना-जिंदगी की किताब (पन्ना # 8)

कुछ तो लोग कहेंगे,लोगो का काम हैं कहना …… जी हॉ दोस्तों ,व्यक्ति अपनी सामाजिक और पारिवारिक जीवन मे पूरी जिंदगी इसी सोच मे पूरी कर लेता हैं कि क्या कहेंगे लोग । यदि “कहने वाले” लोगो की सूची बनाये तो इंसान को खुद पर हँसी आयेगी कि इतने कम लोग हैं जिनको वह अपनी…

प्रेम(भक्ति)-जिंदगी की किताब (पन्ना # 7)

प्रेम(भक्ति)……. असली प्रेम करने का अर्थ है, दूसरों पर बिना किसी अपेक्षा के प्रेम करना। यह प्रेम अपेक्षा युक्त सांसारिक प्रेम से भिन्न बिना किसी शर्त के, भेदभाव के,सर्वव्यापी ईश्‍वरीय प्रेम, जो ईश्‍वर द्वारा निर्मित सभी विषय वस्तुओं के लिये होता है । उदाहरण के लिये निर्जीव वस्तुओं से लेकर चींटी जैसे छोटे से प्राणिमात्र…

कर्मो का हिसाब- जिंदगी की किताब (पन्ना # 5)

कर्मो का हिसाब…… जन्म से मृत्यु तक सभी इंसान अपने किये हुये कर्म का फल भुगतते रहते हैं। मन ,वचन ,काया से कर्म का बंध होता हैं तो साथ मे कर्म की निर्जरा भी होती हैं। कर्म तीन प्रकार के होते हैं 1. संचित कर्म 2.क्रियमाण कर्म 3. प्रारब्ध कर्म इन तीनों कर्म के आधार…