हम बाहरी दुनिया से कभी भी शान्ति नही पा सकते है जब तक हम अंदर से शांत ना हो ।
मन अक्सर कहता है
ईश्वर से कुछ मांग ले
पर आत्मा रोक देती है
यह कहकर कि,
प्रभु ने जितना भी दिया है
क्या कम था ?
क्या मैं उसके काबिल था ?
बहुत फर्क है अकेलापन व एकांत मे
अकेलापन इस संसार में सबसे बड़ी सज़ा है
और एकांत सबसे बड़ा वरदान
अकेलेपन में छटपटाहट है ,एकांत में आराम
अकेलेपन में घबराहट है ,एकांत में शांति
जब तक हमारी नज़र बाहर की ओर है
तब तक हम अकेलापन महसूस करते हैं
जैसे ही नज़र भीतर की ओर मुड़ती है तो ,एकांत का अनुभव होने लगता है
ये जीवन और कुछ नहीं वस्तुतः अकेलेपन से एकांत की ओर एक यात्रा ही है
ऐसी यात्रा जिसमें रास्ता भी हम हैं ,राही भी हम हैं और मंज़िल भी हम ही हैं ।
दुनिया का सबसे पवित्र
शक्तिशाली स्थान
इंसान का साफ दिल है
कहीं मिलेगी जिंदगी में प्रशंसा तो
कहीं नाराजगीयों का बहाव मिलेगा
कहीं मिलेगी सच्चे मन से दुआ तो
कहीं भावनाओं से दुर्भाव मिलेगा
तू चलाचल राही अपने कर्मपथ पे
जैसा तेरा भाव वैसा प्रभाव मिलेगा
आपकी आभारी विमला विल्सन मेहता
जय सच्चिदानंद 🙏🙏
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