जिंदगी के रथ में लगाम बहुत है,
अपनों के अपनों पर इल्जाम बहुत है,
ये शिकायतों का दौर देखकर थम सा जाता हूँ,
लगता है उम्र कम है और इम्तिहान बहुत है ।
गुणों के सहारे ही व्यक्ति सफल हो पाता है मगर विनय और विवेक साथ हो तो शिखर छू जाता है।
जब हम अकेले हों तब अपने विचारों को संभालें
और जब हम सबके बीच हों तब अपने शब्दों को संभाले ।
आपकी आभारी विमला विल्सन मेहता
जय सच्चिदानंद 🙏🙏