कैद–जिंदगी की किताब(पन्ना # 211)

जमाना अपने नियमो से क़ैद है इंसान खुद के दोषों से कैद है  “प्रभु” भक्त के दिल मे कैद है  ज़माने के गिले शिकवे दिल की अलमारी मे कैद है  प्रेमी प्रेमिका एक दूसरे के दिल मे कैद है  खुशी गम के ऑसू ऑखो मे कैद है  अच्छी बुरी यादें हर लम्हो मे कैद है …