हाथ से भोजन करने का वैज्ञानिक कारण # जिंदगी की किताब (पन्ना # 343)

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आजकल कई लोग पाश्चात्य सभ्यता का अनुकरण करते हुये हाथ से भोजन करने की बजाय चम्मच कॉटे छुरी का इस्तेमाल करते है व इसमे अपनी शान समझते है । लेकिन हमारे बुज़ुर्ग लोगो ने भोजन करने के लिये चम्मच कांटे की बजाय हाथ से भोजन करने को ज्यादा महत्व दिया ।

हाथ से भोजन करने के पीछे वैज्ञानिक कारण छुपा है ।

वैज्ञानिक कारण ……….

अपने हाथों से भोजन करने से स्वास्थ्य संबंधी कई फायदे तो होते ही है साथ मे यह हमारे प्राणाधार शक्ति को संतुलित रखता है ।

हमारा शरीर पंचतत्वों से बना हैं जिनसे हमे जीवन मे ऊर्जा मिलती है । ये पंचतत्व हमारे हाथ की अंगुलियों से भी बहुत संबंध रखते है ।जैसे की ….

अंगूठा – जो अग्नि तत्व का प्रतीक है,

तर्जनी अंगुली – जो वायु तत्व की प्रतीक है,

मध्यमा अंगुली – जो आकाश तत्व की प्रतीक है,

अनामिका अंगुली – जो पृथ्वी तत्व की प्रतीक है

कनिष्ठा अंगुली – जो जल तत्व की प्रतीक है ।

यदि इन तत्व मे से किसी एक का भी असंतुलन हो जाता है तो बीमारी का आना संभव हो सकता है

जब हम हाथ से भोजन करते है तो एक तरह की मुद्रा बन जाती है ।जिसमें सारे तत्व एक साथ मिल जाते है जो भोजन को ऊर्जादायक बनाकर हमारे शरीर को निरोगी तो बनाता ही है साथ मे हमारे प्राणाधार शक्ति को संतुलित भी करता है मुद्रा विज्ञान के अनुसार ऐसी बनी मुद्रा मे शरीर को निरोग रखने की क्षमता होती है। इसके साथ हाथ की अंगुलियों से भोजन स्पर्श होने से कुछ सूचनाये मस्तिष्क को मिलती है

वह यह संकेत देता है कि हम भोजन करने वाले है । जिसके अनुरूप हमारा पेट भोजन को पचाने के लिये तैयार हो जाता है । जिसे पाचन क्रिया मे सहायता मिलती है । चम्मच कीबजाय हाथ से भोजन करने पर हमारा ध्यान भोजन की और ज्यादा केन्द्रित होता है । इसकी वजह से पचाने मे आराम रहता है । पाचन क्रिया सही तरीके से होने से कई बीमारियों से बच सकते है ।

इसके अलावा खाना खाने के लिये जब हम भोजन को छूते है तो हमे मालूम चल जाता है कि भोजन कितना गर्म है जो हमे मुँह को जलने से बचाता है । अधिक ठंडा हो तो भी मालूम चल जाता है ।इस तरह भोजन मे हाथ तापमान संवेदक का काम भी करता हैं।

इस कारण हमे जहॉ तक संभव हो हमे हाथ से भोजन करने को प्राथमिकता देनी चाहिये ।

आपकी आभारी विमला विल्सन

जय सच्चिदानंद 🙏🙏

2 Comments Add yours

  1. Madhusudan says:

    Bilkul sahi kaha…

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