मानवता मे खोट # जिंदगी की किताब (पन्ना # 334)

बदलते वक्त मे बदल गई इंसान की सोच मानवीय भावनाओ मे आ गई खोट । यूँ तो कहलाते है हम आर्यों की संतान पर ढूँढने से भी ना मिले इंसान की हैवानियत का भंडार । हम इंसानो की भूखी हवस से जानवर तो क्या इंसान भी कहॉ बच पाते है । कैसे इंसान है जो…